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Sunday, 18 April 2021

कौशल्या मातृत्व योजना का लाभ कैसे लें ?

April 18, 2021 3
कौशल्या मातृत्व योजना का लाभ कैसे लें ?





कौशल्या मातृत्व योजना क्या है ?- Kaushalya matritva yojana 


छत्तीसगढ़ में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने वित्तमंत्री के तौर पर 01 मार्च 2021 को प्रदेश का 21 वां बजट सदन में पेश किया बजट के दौरान सरकार द्वारा किये गए विगत वर्षों की उपलब्धियां भी गिनाई, लगभाग हर वर्ग हर क्षेत्र के लिए यह बजट था जिसमे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, महिलाओं के लिए सशक्तिकरण , पशुपालन, संस्कृति, बुजुर्गों, दिव्यान्गों, युवाओं आदि विशेष थे .सदन में बजट के दौरान उन्होंने महिलाओं और बच्चों के सुरक्षा और पोषण के लिए Kushalya Matritva Yojana की शुरुआत की

कौशल्या मातृत्व योजना - सुपोषण अभियान


मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत पछले एक वर्ष में 99 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त किये जा चुके है। आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2018 में कुपोषण का प्रतिशत 26.33 प्रतिशत रहा था जो घटकर वर्ष 2019 में 23.37 हो गया है। lockdown के दौरान कुपोषित महिलाओं, शिशुवती महिलाओं एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 24 लाख 38 हजार हितग्राहियों को भी घर - घर जाकर रेडी टू ईट फ़ूड वितरित किया गया है।
महिलाओं एवं बच्चों की देखरेख, सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए एकीकृत बाल संरक्षण योजना / कौशल्या मातृत्व योजना हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 47 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है।



कौशल्या मातृत्व योजना के लाभ


कौशल्या मातृत्व योजना के अंतर्गत महिलाओं के पोषण एवं स्वास्थ्य सुधार  हेतु द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर राज्य सरकार द्वारा एकमुश्त 5 हजार रुपये की सहायता राशी उनके बैंक खाते में दी जाएगी।




कौशल्या मातृत्व योजना का लाभ कैसे लें ?


कौशल्या मातृत्व योजना के तहत लाभ पाने के लिए गर्भवती होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/उपस्वास्थ्य केन्द्रों में जच्चा - बच्चा कार्ड बनवाएं, समय-समय पर जांच करवाते रहें, इसके पश्चात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/उपस्वास्थ्य केन्द्रों या मान्यता प्राप्त अस्पतालों में आवेदन किया जा सकता है, जिसके पश्चात द्वितीय बालिका के जन्म पर 5000 रूपए की एक मुस्त सहायता राशि दे दी जाएगी।

            कौशल्या मातृत्व योजना से सम्बंधित और जानकारी हेतु हमसे जुड़े रहें,

Wednesday, 10 March 2021

ग्राम पंचायत का क्या कार्य होता हैं ? एवं अधिकार क्या है ?

March 10, 2021 2
ग्राम पंचायत का क्या कार्य होता हैं ? एवं अधिकार क्या है ?

ग्राम पंचायत




भारत जनसँख्या के आधार पर बहुत बड़ा देश और दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र देशो में से है। जैसे हमें पता है की भारत में Dual गवर्नमेंट सिस्टम है केंद्र सरकार और राज्य सरकार जिनमे अलग-अलग विषयों को लेके शक्तियां बंटी हुयी है, ओर दोनों शक्तियों का प्रयोग करते हुए कानून बनाते हैं और उसे लागु करती है जैसे स्कूल, अस्पताल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, रेलवे, एयरपोर्ट, हाइवे, सड़क सुरक्षा नियम, आदि इन सब के नियंत्रण हेतु कानून बनाती है, लेकिन इसके अलावा कुछ विषय या समस्या ऐसी होती है जो सरकार तक पहुँच नहीं पाते हैं,  हर क्षेत्र के समस्याएं अलग-अलग हो सकते हैं जैसे कहीं पे जल की समस्या हो, कहीं पे लोकल क्षेत्र में साफ़ सफाई की समस्या हो, सड़क हो, गलियों में लगने वाला लाइट की समस्या हो, आदि। इस प्रकार के लोकल समस्याओं के निराकरण करने के लिए बनाई जाती है Local Government .

    वैसे आप में से कितने लोग जानते हैं कि ग्राम पंचायत का क्या कार्य होता हैं ? एवं अधिकार क्या है ? तो प्रिय पाठको आज हम बात करने वाले हैं इसी विषय पर लेकिन उससे पहले यह जन लेते हैं कि Local Government क्या है ? Local Government कैसे काम करता है ? Local Government के क्या कार्य होते हैं ? आदि। 

Local Government


Local Government का main motive है Political Decentralization of power यानी power को अलग-अलग लोगों में या Organization में बाँटना। अर्थात जो शक्ति केंद्र सरकार के हाथों में है आगे Local Government में delegation करना। 

indirect Democracy ऐसी Democracy है जिसमे लोग सीधे indirect रूप से अपने लिए नीतियाँ बनाते हैं। 


Local Government के प्रकार


Local Government मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं -



  • पंचायती राज - जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होती है। 

  • Municipalities - जो की शहरी क्षेत्रों के लिए होती है। 


इन दोनों का कार्य Local Government के रूप में होता है।  मुख्यतः इसमें दो काम में आते हैं -




  1. पहला यह है जिसमें लोकल समस्याएं जैसे बिजली,पानी, रोड, साफ़ सफाई आदि से सम्बंधित समस्याओं के समाधान निकालती है। 

  2. दूसरा जिसमे केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों को ग्रामीण इलाकों में लागू करना। 


अतः Local Government लोगो के आवश्यक जरूरतों को पूरा करती है। 


 

Local Government को इंडियन constitution के schedule में schedule नं 7 जिसमे Union list, state list और current list दी हुई है उसमे से state list के अंदर entry नं 5 में उल्लेख किया गया है, जिसके तहत State Government, Local Government से सम्बंधित नियम एवं क़ानून बना सकती है। इसलिए कई राज्य कानून बनाते थे और कई राज्य नहीं बनाते थे। अतः पंचायती राज और Municipalities को दो अलग- अलग भागों में समझा जा सकता है। प्रिय पाठकों हम पहले बात करेंगे पंचायती राज के बारे में। 


पंचायती राज क्या होता है ?


पंचायत को सबसे पहले Indian constitution के article 40 में उल्लेख किया था। लेकिन 1992 के 73वें constitution में यह उल्लेख है की हर राज्य में पंचायत बनाना सामान्य हो गया।


ग्राम पंचायत क्या होता है ?


हममे से बहुत से लोगों ने पंचायत शब्द कई बार सुना होगा, लेकिन बहुत कम लोगों को मालुम होगा की पंचायत कार्य कैसे करती है ? प्रिय पाठकों अगर आपको जानना है कि पंचायत कार्य कैसे करती हैं तो आप सही जगह पर हैं हम आपको पंचायत से जुडी सभी महत्व पूर्ण जानकारी देने वाले हैं। 

हर गाँव (जनसँख्या के आधार पर आश्रित गाँव बनाये जाते हैं) में एक पंचायत होता है, और पंचायत के दो भाग होते हैं -



  1. Legislative - ग्राम सभा  

  2. Executive - ग्राम पंचायत 



Legislative - ग्राम सभा


एक ही पंचायत के 18 वर्ष से अधिक के आयु वर्ग के लोगो की बैठक को ग्राम सभा कहा जाता है, मतलब इसमें वे सारे नागरिक आ जाते हैं जो चुनाव में वोट देते हैं। 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगो को ग्राम पंचायत के ग्राम सभा में बैठने व कार्य योजना बनाने का अधिकार होता है। साथ ही कोई भी नागरिक ग्राम सभा में अपने समस्याओं को रख कर समाधान हेतु अपील कर सकता है। 

 

Executive - ग्राम सभा


Gram Panchayat का मुख्य उत्तरदायित्व होता है जरुरत मंदों की सहायता करना और गाँव का विकास करना। ग्राम पंचायत के अंतर्गत आते हैं वार्ड के द्वारा चुने गए पंच जो की पंचों की संख्या किसी भी ग्राम पंचायत में 20 से अधिक नहीं होती और 5 से कम भी नहीं होती।  हर ग्राम पंचायत में जनसँख्या के आधार पर वार्डों का चयन किया जाता है, और प्रत्येक वार्ड पर 1 पंच चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त किये जाते हैं, अवगत हो कि हर ग्राम पंचायत में गाँव के जनसँख्या के आधार पर वार्डों का चयन किया जाता है जो कि हर पंचायत में वार्डों की संख्या गाँव के जनसँख्या के आधार पर कम या ज्यादा होती है इसलिए यह कह पाना मुश्किल है कि एक ग्राम पंचायत में कितने पंच होंगे। ग्राम पंचायत के अमस्त पंचों का मुख्या होता है जिसे हम कहते हैं सरपंच। सरपंच  प्रत्येक वार्ड के प्रत्येक सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं जिनके उम 18 वर्ष या उससे अधिक है अथवा उनका नाम पंचायत के निर्वाचन सूची में होना आवश्यक है या सीधे शब्दों में कहा जाए तो सरपंच का चुनाव ग्राम सभा के प्रत्येक सदस्यों द्वारा किया जाता है। अतः सरपंच पुरे गाँव या ग्राम पंचायत का मुख्या भी कहलाता है , इसके अलावा प्रत्येक ग्राम पंचायत में कार्यों का संधारण के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सचिव को भी ग्राम पंचायत में शामिल किया जाता है जो सरपंच द्वारा किये गए प्रत्येक कार्यों की हिसाब रखता है। हम आपको बतादें कि ग्राम पंचायत आगे भी कई लेबल होते हैं लेकिन हम बात करेंगे केवल ग्राम पंचायत के बारे में।  



ग्राम पंचायत के कार्य


 प्रत्येक साल में चार बार ग्राम पंचायत के सारे सदस्य यानि पंच और उनके मुख्या सरपंच और गाँव के समस्त सदस्यों की बैठक बुलाई जाती है जिसे हम ग्राम सभा कहते हैं। गाँव क्या - क्या समस्याएं हैं ? रोड, बिजली और पानी से सम्बन्धित और उनके लिए क्या क्या कार्यवाही किये जाने चाहिए एवं गाँव में क्या क्या होगा इसका फैसला ग्राम सभा में लिया जाता है। ग्राम सभा में व्यक्ति गत किसी की समस्या है जैसे बेघरों के लिए आवास की व्यवस्था करना, बुजुर्गों के लिए पेंशन आदि बनाना, सरकार द्वारा चलाये जा रहे जन हितैषी योजनाओं का लाभ प्राप्त कराना आदि सभी समस्याओं को ग्राम सभा में रखा जाता है एवं गाँव के सभी सदस्यों द्वारा उस विषय पर विचार कर सहायता उपलब्ध कराया  जाता है। तो क्या पंचायत के सभी सदस्य कुछ विषयों पर स्वयं निर्णय लेते हैं तो क्या वह हर विषयों पर स्वय निर्णय ले सकता है ?


ग्राम पंचायत के निर्णय


Gram Panchayat किन-किन विषयों पर निर्णय ले सकता है यह उल्लेख है पंचायती राज के अधिनियम 11 में, जिसमे कृषि कार्य, भूमि समतली करण, पशुपालन आदि जैसे 21 विषय है। इसके आलावा पंचायत और किसी भी विषय पर निर्णय नहीं ले सकता अतः ग्राम पंचायत का निर्णय लेने का अधिकार सीमित है। जब ग्राम सभा द्वारा किसी कार्य को कराने का निर्णय लिया जाता है तो उस काम को ग्राम पंचायत के सदस्य पंच और उनके मुख्या सरपंच द्वारा समिति बनाकर काम बांटते है और उनके द्वारा कार्य पूर्ण किया जाता है। कार्यों को पूरा करने के लिए समिति को power दिए जाते हैं जो की गाँव तक ही सीमित होती है। ग्राम पंचायत के ऊपर के कार्यों के लिए 2 और लेबल बनायीं गई हैं जिसे हम कहते हैं -



  1. पंचायत समिति और 

  2. जिला परिषद्। 



पंचायत समिति


इसके आगे हम बतादें कि कई सारे ग्राम पंचायत और आश्रित गाँव को मिलाकर बनता है जनपद पंचायत और जनपद पंचायत लेबल को कहते हैं पंचायत समिति। जनपद पंचायत के सदस्यों में आते हैं जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम के सरपंच, BDO, Associate मेम्बर आदि। पंचायत समिति के सदस्य आपस में वोटिंग करके चुनते है ब्लाक प्रमुख जिसे हम जनपद अध्यक्ष कहते है। पंचायत समिति का कार्य होता है शासन के योजनाओं के कार्यों को जनपद स्तर में लागु करना।

 

जिला परिषद्

जिला परिषद् को भी अलग-अलग नाम से जाना जाता है जिसे हम जिला पंचायत भी कहते हैं। इनके सदस्य होते है जिला के अंतर्गत आने वाले जनपद पंचायत और उनके प्रमुख। इसके आलावा उस क्षेत्र के विधायक और सांसद। और जिला परिषद् का मुख्या होता है एक none Elected person जिसे हम आई ए एस अधिकारी के नाम से जानते हैं। 

अब ए तो हो गया पंचायती राज का Structure जिसमे तीन भाग होते हैं -



  1. जिला परिषद् 

  2. पंचायत समिति और 

  3. ग्राम पंचायत 


जिस प्रकार से हमने ग्रामीण इलाकों के लिए Gram Panchayat, Local Government पंचायती राज Institution को समझा उसी प्रकार शहरी इलाको के Municipalities को भी समझा जा सकता है।


तो प्रिय पाठकों इस लेख से आपको काफी जानकारी मिल चुकी होंगी कि ग्राम पंचायत कैसे कार्य करती है? और ग्राम पंचायत के लिए कौन कार्य करा सकती है ? तो मुझे दीजिये इजाजत धन्यवाद